राजस्थान में प्रजामंडल


  • राजपूताना देशी राज्य लोक परिषद् के प्रांतीय सम्मेलन का आयोजन सन् 1928 में हुआ।
  • 1938 ई. में कांग्रेस ने हरिपुरा अधिवेशन में सर्वप्रथम देशी रियासतों को भारत का अभिन्न अंग मानते हुए, उनमें उत्तरदायी सरकारों  की स्थापना का प्रस्ताव किया।
  • जेन्टिलमेन्स एग्रीमेन्ट (सितम्बर, 1942)- तत्कालीन प्रधानमंत्री सर मिर्जा इस्माइल तथा हीरालाल शास्त्री के मध्य।
  • आजाद मोर्चे के गठनकर्ता- दौलतराम भंडारी, बाबा हरिश्चन्द्र, रामकरण जोशी, चिरंजीलाल मिश्र आदि।
  • 1945 में यह जयपुर प्रजामंडल में विलीन हो गया।
  • चरखा संघ के संस्थापक- जमनालाल बजाज। नेतृत्व- बी. एस. पांडे।
  • बीकानेर राज्य प्रजापरिषद् (1942)- रधुवीर दयाल शर्मा
  • बूँदी लोकपरिषद् (1944)- हरिमोहन माथुर
  • मारवाड़ लोकपरिषद् की (1938) में स्थापना हुई।
  • बीकानेर लोकपरिषद् की स्थापना कलकत्ता में 1936 में हुई।
  • सिरोही लोकपरिषद् की स्थापना 1934 में हुई।
  • राजस्थान केसरी का प्रकाशन विजयसिंह पथिक ने अजमेर में 1920 में प्रारंभ किया।
  • राजस्थान सेवा संघने 1922 में नवीन राजस्थान पत्र प्रकाशित कर भील व बिजोलिया आंदोलन का समर्थन किया।
  • नीमूचाणा काण्ड व कृषक आंदोलन का विवरण 1923 में प्रकाशित तरूण राजस्थान पत्र में था।
  • आर्य समाज आंदोलन का राजस्थान में केंद्र अजमेर में था।
  • सम्प समाज की स्थापना सिरोही में की गयी।
  • चेतावनी रा चूंगटियारचना केसरीसिंह बारहठ की है।
  • राजस्थान सेवा संघ (1919)- संस्थापक- अर्जुनलाल सेठी, केसरीसिह बारहठ एवं विजयसिंह पथिक ।
  • 1920 में इसका कार्यालय अजमेर स्थानान्तरित कर दिया गया।
  •  "राजस्थान-मध्य भारत सभा" की स्थापना सन् 1919 में देशी रियासतों के कुछ कर्मठ कार्यकर्ताओं द्वारा की गयी।
  • अखिल भारतीय देशी राज्य लोक परिषद् की स्थापना 1927 में हुई।
  • मुख्य उद्देश्य- राज्यों में अंग्रेजी प्रांतों के समान ही राजनीतिक संस्थाओं को लाभ दिलाना।
  • जयपुर प्रजामण्डल का प्रथम अधिवेशन- 1938 ई.